है खफा ज़िन्दगी हमसे क्यू ,
न जाने क्यू
तू ही बता
अँधेरी ज़िन्दगी में चलते हैं हम ,
उलझनों से गुज़रते हैं हम ,
कैसे छलु में तेरे बिना ,
तू ही बता
मेरा साथ यूह छोड़ के ,
उम्मीद का दमन तोड़ के ,
चल दिए आगे क्यू ?
हमे पीछे छोड़ के ,
तू ही बता
क्या सितम किये तुझ पर मैंने जो ,
तूने कुछ न कहा ,
एक ही झटके में तूने ,
यह रिश्ता तोड़ दिया ,
तू ही बता
तू ही बता
तू ही बता