Wednesday, October 31, 2012

पर्छाई



कह दिया इन पर्छाई  ने बहुत कुछ,
मजबूर कर दिया यह सोचने पर,
जब कुछ समझ नहीं आया ,
तोह फिर हमने अपने होठ सिल दिए ,
और फिर हम करते क्या ?,
हमने पर्छाई को ही कहने  दिया,
आखिर हम बोलते भी तोह क्या? 





Saturday, October 13, 2012

तकलीफ

रोई वो इस कदर,,
उनकी लाश से लिपट कर,
यह सोच कर,
की वो उन्हें खुद से वापिस ले आएँगी
वापिस चुरा लेंगी उन्हें,
सजा लेंगी वो उन्हें अपनी पलकों में,
कुछ इस कदर
की ढूंड ने पर भी
उन्हें खुदा  न ढूंड पाए,