उस तड़पती धूप मे निकला में ,
अपनी दो पहिया गाड़ी में ,
अपने दफ्तर की ओर ,
रोज़ का वो आधे घंटे का सफ़र ,
मनो कितने घंटे में खिच गया हो ,
पसीने से लतपत में चलाता रहा ,
गाडी के हॉर्न को बजाताहुआ उसको निकालता रहा ,
और आया मेरे ऑफिस से पहले एक सिग्नल ,
वहा एक लड़की नंगे पैरो में करतब कर रही थी ,
और उसकी मा पास के एक पेड़ की छाओं तले बैठी ,
दुग्दुगी बजा रही थी ,
और वो नन्ही कलि ताल से ताल मिला रहि थी ,
उस 60 सेकंड को बिताने के लिए लोग करतब देख रहे थे ,
में भी उस कलि को देख रहा था ,
वो रुकी और लोगो की ओर चली ,
लोगो ने उसको अनदेखा किया,
पर वो आगे बढ़ी और मेरे पास आ कर रुकी ,
मैंने पूछा खाना खाया ,
और वो बोली नहीं ,
पास ही में एक ठेला खड़ा था ,
मैंने गाडी को किनारे लगाया ,
सौ रूपए का एक नोट निकल ,
उसको और उस के भाई बहनों को खिलाया,,
लोग मुझे देख अचंभित हो गए,
हसने लगे पर में भी चलता गया ठेले की ओर ,
फिर में बिह हसने लगा ,
पर उन के हसने और मेरे हसने का तर्क कुछ और था,
उन्होंने जिनको ठुकराया मैंने उनको अपना बनाया,
उन भूके लोगो को मैंने पेट भर क खाना खिलाया ,
उस सिग्नल से जब भी में गुज़रता हूँ ,
उनको देख मुस्कुराता हूँ ,
उस कलि को खिलता देख खुशहोता ,
और अपने दफ्तर की और निकल जाता हूँ .
अपने दफ्तर की ओर ,
रोज़ का वो आधे घंटे का सफ़र ,
मनो कितने घंटे में खिच गया हो ,
पसीने से लतपत में चलाता रहा ,
गाडी के हॉर्न को बजाताहुआ उसको निकालता रहा ,
और आया मेरे ऑफिस से पहले एक सिग्नल ,
वहा एक लड़की नंगे पैरो में करतब कर रही थी ,
और उसकी मा पास के एक पेड़ की छाओं तले बैठी ,
दुग्दुगी बजा रही थी ,
और वो नन्ही कलि ताल से ताल मिला रहि थी ,
उस 60 सेकंड को बिताने के लिए लोग करतब देख रहे थे ,
में भी उस कलि को देख रहा था ,
वो रुकी और लोगो की ओर चली ,
लोगो ने उसको अनदेखा किया,
पर वो आगे बढ़ी और मेरे पास आ कर रुकी ,
मैंने पूछा खाना खाया ,
और वो बोली नहीं ,
पास ही में एक ठेला खड़ा था ,
मैंने गाडी को किनारे लगाया ,
सौ रूपए का एक नोट निकल ,
उसको और उस के भाई बहनों को खिलाया,,
लोग मुझे देख अचंभित हो गए,
हसने लगे पर में भी चलता गया ठेले की ओर ,
फिर में बिह हसने लगा ,
पर उन के हसने और मेरे हसने का तर्क कुछ और था,
उन्होंने जिनको ठुकराया मैंने उनको अपना बनाया,
उन भूके लोगो को मैंने पेट भर क खाना खिलाया ,
उस सिग्नल से जब भी में गुज़रता हूँ ,
उनको देख मुस्कुराता हूँ ,
उस कलि को खिलता देख खुशहोता ,
और अपने दफ्तर की और निकल जाता हूँ .