Friday, December 14, 2012

चलता रहा

उस सुलगती धुप में,
वोह चलता रहा लड़ता रहा,
तंग गालिओ से गुज़रते हुए ,
काँटों से लड़ता रहा ,
पसीने में लतपत ,
अनदेखा कर बहते हुए,
पैरो से खून की धारा को ,
बस चलता रहा कांटो क पथ पर,


ढूंढ़  रहा था कुछ वोह,
दर बदर भटकता हुआ,
इन विपरीत परीस्थिति में 
वो मुस्कुरा रहा था,
शान से आगे बढ़ता जा रहा था,


पसीने में लतपत ,
अनदेखा कर बहते हुए,
पैरो से खून की धारा को ,
बस चलता रहा कांटो क पथ पर,


कितनो ने टोका उसको,
न जाने कितनो ने रोक उसको,
देख  उसको लडखडाते हुए,
ना हताश हुआ वोह ना निराश हुआ वोह, 


पसीने में लतपत ,
अनदेखा कर बहते हुए,
पैरो से खून की धारा को ,
बस चलता रहा कांटो क पथ पर,