Friday, June 29, 2012

बिखरे सपने

देखे जो सपने मैंने कितने,
टूटे तो शीशे से बिखर जाए,
जोडू तोह जुड़े ना ,
और अगरजुड़ भी जाए तोह ,

दरारे हटाऊ हेट ना



Monday, June 25, 2012

चलते रेहना


अकसर अँधेरा छा  जाता है ,
दिल मेरा घबरा जाता है ,
जवाबो को ढूंढते हुए ,
सवालो में ही खो जाता है ,
बचपन में सीखा  था ,
यह दुनिया बहुत निराली है ,
बड़ा हुआ तोह पता  चला ,
यहाँ कितनी परेशानी है ,
पर ज़िन्दगी यूँ ही थमती नहीं ,
चलती जाती है,
न थमती न रूकती ,
बस चलती जाती है,.... 2