Monday, June 25, 2012

चलते रेहना


अकसर अँधेरा छा  जाता है ,
दिल मेरा घबरा जाता है ,
जवाबो को ढूंढते हुए ,
सवालो में ही खो जाता है ,
बचपन में सीखा  था ,
यह दुनिया बहुत निराली है ,
बड़ा हुआ तोह पता  चला ,
यहाँ कितनी परेशानी है ,
पर ज़िन्दगी यूँ ही थमती नहीं ,
चलती जाती है,
न थमती न रूकती ,
बस चलती जाती है,.... 2

2 comments:

  1. "Par zindagi yun hi thamti nahi,
    Chalti jaati hai"

    very true.. :)

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  2. yeah thats the manra of life...... to go on and on :) :)

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