Friday, March 9, 2012

KYA KAHU

क्या कहु जब देखू ,
एक नन्ही सि जान को,
हाथो में गगरी लिए,
चलते हुए गुनगुनाते हुए,
कैसे रोकू उसको,
जब देखू उससे उसका,
यह बचपन छिनते  हुए,



क्या कहु  जब देखू ,
उस के सपनो को टूट ते हुए,
जब देखू उसे,
दुसरे बचों को खेलता देखते हुए,
कैसे रोकू उसको,
जब देखू उससे उसका,
यह बचपन छिनते  हुए,



क्या कहु  जब देखू ,
उसको एक टूटी गुडिया से खेलते हुए,
जब देखू उसे,
रात में सोने को,
एक छत ढूंढते हुए,
कैसे रोकू उसको,
जब देखू उससे उसका,
यह बचपन छिनते  हुए,



क्या कहु जब देखू ,
उसको भाई बहनों को,
खाना खिलते हुए,
जब देखू उसको,
एक निवाले को तरसते हुए,
कैसे रोकू उसको,
जब देखू उससे उसका,
यह बचपन छिनते  हुए,









 

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