Tuesday, January 1, 2013

रात

कुछ तो बात है इस रात में,
गुप सन्नाटे में सोती हुई इन गालिओ में ,
कुछ तो बात है इस रात में,

कुछ तो बात है इस रात में,

गूंजती हुई सिटी वो चौकीदार की अँधेरे में ,
करती हुई शोर उसकी लाठी अँधेरे में,
कुछ तो बात है इस रात में,

कुछ तो बात है इस रात में,

पदों से गिरते हुए सूखे पत्तो की आवाज़ में,
कुछ तो बात है इस रात में,

हैरत करती हुई यह रात है,

हलचल है कुछ इन संकरी गालिओ 
हैरत करती हुई यह रात है 

कुछ तोह बात है इस रात में 



PS- my 1st blog of year the year and i hope it turns out to be a great year for all my writer friends :) :)

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